उम्मीदों की उम्र आदमी की नीयत तय करती है। जेहनियत और जमीर पाक-साफ हैं तो आस का एक सिरा भी घटाटोप अंधेरे में हाथ ही आ ही जाता है, वरना बेईमानी और दूसरों को लूटकर अपने घर भरने की कुटिल मंशाएं दिमाग में चल रही हों तो उम्मीदों के कितने ही ऊंचे सितारे आसमान में … Continue reading ट्विन टावर: “बिल्डर महोदय” आपको आखिरी तक उम्मीद थी ना इमारतें नहीं गिरेंगी, यकीन करो ध्वस्त वह “यकीन” ही हुआ
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